डाटा प्रोसेसिंग क्या है – What is Data Processing ? – अभी तक हम डाटा की परिभाषा जान चुके हैं कि डाटा क्या होता है और डाटा कितने प्रकार के होते हैं, लेकिन अभी एक महत्वपूर्ण बिन्दु शेष है डाटा प्रासेसिंग (Data Processing) क्या है इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं लेकिन डाटा प्रोसेसिंग परिभाषा और डाटा प्रोसेसिंग क्या है – What is Data Processing
डाटा प्रोसेसिंग क्या है – What is Data Processing
सबसे पहले प्रोसेसिंग (Processing) शब्द को समझते हैं, कंप्यूटर (Computer) की भाषा में किसी भी काम जब किया जाता है तो उसमें काम को होने में शुरू से लेकर आखिर तक जो भी प्रक्रिया होती है वह प्रोसेसिंग (Processing) कहलाती है
डाटा प्रोसेसिंग (Data processing)
आपके देखा होगा किसी सूचना को प्राप्त करने के लिये हम डाटा (Data) यानि आंकड़े इक्ठ्ठठा करते हैं और इस डाटा (Data) का अपनी जरूरत के हिसाब से विश्लेशण या डाटा प्रोसेसिंग करते हैं इस विश्लेशण यानि डाटा प्रोसेसिंग की प्रक्रिया में डाटा से अर्थपूर्ण तथ्य, अंक या सांख्यिकी डाटा प्राप्त होता है इसी अर्थपूर्ण डाटा काे सूचना कहते हैं जिसे उपयोग में लाया जाता है
डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) या विश्लेशण – डाटा की उपयोगिता के आधार पर किया जाने वाला विश्लेषण डाटा प्रोसेसिंग कहते हैं डाटा से सूचना निकलने के लिए हमें बहुत सी क्रियाएं जैसे जोड़ना और घटाना करनी पड़ती है, उन सब क्रियाओं को डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) कहा जाता है, इसके बाद ही सूचना प्राप्त हाेती है
कंप्यूटर (Computer) जब डाटा को सूचना में बदलता है यानी डाटा प्रासेसिंग (Data Processing) करता है तो वह कई सारी अंक गणितीय गणनाएं करता है और इन सभी घटनाओं को करने के लिए वह कंट्रोल यूनिट (CU) और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ए. एल.यु.) की मदद लेता है इसमें कई सारे स्टेप होते हैं और फिर परिणाम दिया जाता है आइए जानते हैं डाटा प्रोसेसिंग करते समय कंप्यूटर क्या-क्या करता है –
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डेटा प्रोसेसिंग के चरण (Steps of Data Processing)
- डाटा संग्रह (Data collection) सबसे पहले डाटा को किसी माध्यम से कलेक्ट किया जाता है जब किसी संस्था या अनुसंधानकर्ता द्वारा कोई डाटा पहली बार शुरू से लेकर अंत इकठ्ठा किया जाता है तो ऐसे डाटा को प्राथमिक आंकड़े या प्राइमरी डाटा ( Primary Data ) कहते हैं और जब उसी डाटा को कोई व्यक्त्िा दोबारा इस्तेमाल करता है तो उसे द्वितीय आंकड़े ( Secondary Data ) या सेकेंडरी डाटा कहते हैं
- व्यवस्थित करना (DataOrganized) – इस चरण में डाटा को व्यवस्थित (Organized) किया जाता है मान लीजिये आपके एक स्कूल का डाटा इकठ्ठा किया है लेकिन आपको सभी स्टूडेंट का केवल सभी विषय से संबधित (विज्ञान वर्ग, कला वर्ग आदि) डाटा चाहिये तो बाकी डाटा को छोडकर केवल सभी स्टूडेंट सभी विषय से (विज्ञान वर्ग, कला वर्ग आदि) संबधित डाटा को व्यवस्थित करेंगें
- डाटा जोड़ना (Data Combine) -इस चरण में एक जैसे डाटा को एक साथ जोडते (Combine) किया जाता है जैसे विज्ञान वर्ग के सभी स्टूडेंड एक जगह और कला वर्ग के एक जगह
- डेटा सॉर्टिंग (Data sorting) – अब जो डाटा Combine किया उसे बढते से घटते क्रम (Descending) में लगाना या घटते से बढते क्रम (Ascending) में लगाना डेटा सॉर्टिंग (Data sorting) कहलाता है इस चरण में यह प्रक्रिया की जाती है
- डेटा मेनिपुलेशन (Data manipulation) – इस चरण में डाटा में कोई अपडेट करना, कुछ हटाना या कुछ संशोधन करना ऐसे कार्य किया जाते हैं मान लीजिये कुछ डाटा डुप्लीकेट है और आपको उसे हटाना है तो यह प्रक्रिया डेटा मेनिपुलेशन के अन्तर्गत की जाती है
- डेटा संक्षेपण (Data Summarization) – अब इस डाटा को Summarization किया जाता है जिसमें उसे पूरे डाटा की जानकारी होती है जिसे बडी आसानी से समझने लायक बनाया जाता है यह एक प्रकार से फाइलन डाटा होता है Data Summarization होने के बाद आपको मिलती है सूचना (information)
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Processing )
आप समझ ही गये होगें कि डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) कितने तरह से होती है लेकिन अब यह चूंकि डाटा प्रासेसिंग (Data Processing) की सारी प्रक्रिया कंप्यूटर के द्वारा संपादित की जाती है और आप तो जानते हैं कि कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है इसलिये इसे इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Processing ) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग को शार्ट में EDP ( ईडीपी ) कहते हैं इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (ईडीपी) में स्वचालित तरीकों ( Automated methods) का उपयोग किया जाता है डाटा को प्रोसेस करने के लिये, क्योंकि अगर आपके पास डाटा बहुत ज्यादा है तो मैनुअल तरीके से उसे प्रोसेस करने में बहुत समय बर्बाद होता है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग से बहुत कम समय में बहुत बडे डाटा का प्रोसेस किया जा सकता है
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (ईडीपी) का उपयोग ऑनलाइन लेनदेन, शेयर अद्यतन, नेट बैंकिंग, होटल बुकिंग और एयरलाइन आरक्षण प्रणाली के लिए किया जाता है
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग के लाभ (Advantages of Electronic Data Processing)
- इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग में कंप्यूटर के सभी गुण समाहित होते हैं जो कंप्यूटर को एक दक्ष मशीन बनाते हैं सबसे पहले आप किसी भी बड़े से बड़े डेटा को आप बहुत तेज गति के साथ और बड़ी शुद्धता से एक सूचना में परिवर्तित कर सकते हैं ऐसा करना आपके लिए लगभग असंभव होगा आप छोटी मोटी गणनाओं को तो बहुत जल्दी ही कैलकुलेट कर सकते हैं लेकिन अगर इन गणनाओं की संख्या 100, 1000 या 10000 हो तो आपके लिए इसे तेजी से कैलकुलेट करना संभव नहीं है
- इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग से आप बहुत कम लागत में बहुत ज्यादा डाटा को प्रोसेस कर सकते हैं जबकि अगर आप मैनुअल तरीके से मेन पावर के साथ काम करें तो इसमें बहुत सारा खर्चा आएगा
- मैनुअल तरीके से डाटा प्रोसेस करने में बहुत समय बर्बाद होता है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग में बहुत कम समय लगता है और ज्यादा डाटा प्रोसेस हो जाता है
इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग की हानि (Disadvantage of Electronic Data Processing)
- अगर आपके मूल डेटा में कुछ कमियां हैं तो आउटपुट भी त्रुटिपूर्ण ही प्राप्त होगा
- अलग-अलग प्रकार के डाटा के लिए अलग अलग एप्लीकेशंस की आवश्यकता होती है यानी एक ही एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर सभी प्रकार के डाटा को प्रोसेस नहीं कर सकता है
इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज (Electronic Data Interchange)
इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटरचेंज (Electronic Data Interchange) को शार्ट में (EDI) कहते हैं यह एक कम्युनिकेशन सिस्टम है जिसमें डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में इलेक्ट्रॉनिक रूप से ट्रांसफर किया जाता है इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि डाटा ट्रांसफर करने में किसी भी मनुष्य की आवश्यकता नहीं होती है कोई पेपर वर्क नहीं करना पड़ता है और बहुत कम समय में डाटा का ट्रांसफर किया जा सकता है
सबसे पहले जिस भी डाटा को ट्रांसफर करना होता है उसे कंप्यूटर में इकट्ठा करके तैयार किया जाता है और उसकी डाटा प्रोसेसिंग की जाती है डाटा प्रोसेसिंग के बाद में उस डॉक्यूमेंट को EDI फॉर्मेट में कन्वर्ट किया जाता है, इसके लिये EDI ट्रांसलेटर सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है इसके बाद डॉक्यूमेंट चेंज होने के लिए तैयार हो जाते हैं और जिस भी कंप्यूटर से उस डॉक्यूमेंट को एक्सचेंज करना है उस से कनेक्ट किया जाता है डॉक्यूमेंट ट्रांसफर करने के लिए HTTP और HTTPS एस तथा फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफटीपी) का प्रयोग किया जाता है
HTTP और HTTPS इंटरनेट प्रोटोकॉल है, हर वेबसाइट यूआरएल के लिये इंटरनेट पर कुछ नियम बनाये गये हैं इन नियमों को इंटरनेट प्रोटोकॉल कहते हैं और हर यूआरएल इन नियमों को फॉलो करता है यह दो प्रकार हैं – पहला http और दूसरा https है http की फुल फॉर्म Hypertext Transfer Protocol है जबकि https की फुल फॉर्म Hypertext Transfer Protocol secure है अगर किसी साइट पर “https” और ताले के प्रतीक के साथ साथ हरे रंग की पट्टी दिखाई देती है। इसका अर्थ है कि यह साइट SSL मानक को पूरा करती है और सुरक्षित है।
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