एक समय ऐसा था जहां बिजली न होने पर भी लोगों के काम आसानी से हो जाते थे किन्तु ये दौर है टेक्नोलॉजी का जहां लोगों के काम इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंसेज जैसे मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर इत्यादि से होते हैं |
जिसके कारण बिजली की अत्यधिक आवश्यकता होती है और बिजली बिल की मोटी रकम भरनी होती है और कई जगहों में आज भी बिजली की समस्या देखने को मिलती है ऐसे में पुरे विश्व में सौर सेल उपकरण बिजली आपूर्ति का एक बहुत अच्छा साधन है जो हमें बिजली बिल की मोटी रकम से बचाता है और साथ ही बिजली की समस्या का भी बहुत बड़ा निदान है |
आज पुरे विश्व में सौर सेल की उपयोगिता और निर्माण कार्य काफी अधिक बढ़ चूका है कई जगहों में हम सौर सेल देखते हैं यहां तक की बहुत से ऐसे लोग हैं जो सौर सेल का उपयोग कर रहे हैं किन्तु यह काम कैसे करता है इसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होती है |
आज मैं आपको इस आर्टिकल में बताऊंगा की “सौर सेल क्या है What Is Solar Cell”, इसके क्या फायदे एवं नुकसान हैं, इसके साथ ही इस टेक्नोलॉजी से सम्बंधित लेटेस्ट जनकारी मिलेंगी, अभी हाल ही में Google और एम्बिएंट फोटोनिक्स ने इनडोर सौर सेल द्वारा संचालित एक नया उपकरण लॉन्च करने के लिए हाथ मिलाया है जिसके बारे में हम इस लेख में विस्तारपूर्वक जानेंगे |
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सौर सेल क्या है (What Is Solar Cell)
सौर सेल को समझने से पहले सौर सेल और सौर पैनल के बारे में समझना महत्वपूर्ण है तो सौर सेल एक छोटी इकाई होती है और जब अनेकों सौर सेल्स को एक साथ जोड़ दिया जाता है तो सौर पैनल कहलाता है |
सौर सेल एक उपकरण है जो फोटोवोल्टाइक के जरिए सूरज की किरणों को अवशोषित कर विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है यानी कि सौर सेल का मुख्य काम है सूरज की किरणों से विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न करना | सौर सेल को फोटोवोल्टेक सेल भी कहते हैं, फोटोवोल्टेक सेल एक प्रकार की टेक्नोलॉजी है जिसके माध्यम से ही सूरज की किरणों को विद्युत् ऊर्जा में बदला जाता है |
सौर सेल कैसे काम करता है (How Does Solar Cell Work)
सौर सेल से विद्युत् ऊर्जा कैसे प्राप्त होता है इसे हम निम्न भागों के जरिये समझेंगे :-
- सिलिकॉन :- सौर सेल सिलिकॉन धातु (सेमीकंडक्टर) से बनी होती है और सिलिकॉन का निर्माण बालू + कार्बन को 2000°C के हिट से किया जाता है और जब यह बन जाता है तो इसे पतली लेयर में कट कर दिया जाता है और सौर सेल का निर्माण होता है | सिलिकॉन के बाहरी परत में 4 इलेक्ट्रॉन्स मौजूद होते हैं और इन सभी को फ्लो करने के लिए अन्य धातुओं की डोप्पिंग (मिलाना) की जाती है और एक जंक्शन बनाया जाता है जिसे P-N जंक्शन कहते हैं |
- फास्फोरस की डोप्पिंग :- सिलिकॉन में सबसे पहले फास्फोरस की डोप्पिंग की जाती है किन्तु फास्फोरस का एटॉमिक नंबर 15 होता है और इसके बाहरी परत में 5 इलेक्ट्रॉन्स होते हैं किन्तु सिलिकॉन को 4 इलेक्ट्रोन्स की ही जरूरत होती है जिसके कारण इसमें इलेक्ट्रॉन्स की अधिकता हो जाती है और जिसके कारण यह N (नेगेटिव) Type धातु बनाता है |
- एल्युमीनियम की डोप्पिंग :- दूसरा एल्युमीनियम धातु की डोप्पिंग की जाती है किन्तु एल्युमीनियम का एटॉमिक नंबर 13 होता है और इसके बाहरी परत में 3 इलेक्ट्रॉन्स होते हैं तो यहां पर सिलिकॉन में इलेक्ट्रॉन्स की कमी होने के कारण छिद्र बन जाते हैं और यह P (पॉजिटिव) Type धातु बनाता है |
इस तरह से सौर सेल में सिलिकॉन को दो भागों में विभाजित किया गया है P टाइप लेयर और N टाइप लेयर जब इन दोनों लेयर्स को मिलाया जाता है तो Depletion क्षेत्र का निर्माण होता है जिससे दोनों को बराबर मात्रा में इलेक्ट्रॉन्स मिले और करंट फ्लो हो | किन्तु यहां पर N टाइप लेयर को ऊपरी भाग में रखा जाता है क्योंकि इसकी परत पतली होती है और P टाइप लेयर को निचले भाग में रखा जाता है जिसकी परत मोटी होती है |
सूरज से निकलने वाली किरणों में छोटे छोटे कण होते हैं जिसे फोटोन्स कहा जाता है और जब यह फोटोन्स सौर सेल के ऊपरी परत N टाइप लेयर पर पड़ती है तो एक तार के जरिये P टाइप लेयर में रिक्त इलेक्ट्रॉन्स को भर देती जिससे इलेक्ट्रॉन्स स्वतंत्र रूप से काम करने लगते हैं और बिजली का उत्पादन होता है |
जब सूरज की किरणें अधिक होती है तो सौर सेल अधिक विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न करती है किन्तु सूरज की किरणें उपलब्ध नहीं होने पर सौर सेल कम विद्युत् ऊर्जा उत्पन्न करती है इसलिए विद्युत् ऊर्जा को बैटरी में संग्रहित किया जाता है जिससे रात्रि के समय भी उपयोग किया जा सकता है |
किन्तु यहां पर सौर सेल डायरेक्ट करंट (DC) का उपयोग करती है और घरेलु बिजली में आल्टरनेट करंट (AC) का उपयोग किया जाता है तो सौर सेल में उत्पन्न होने वाली DC को AC में बदलने के लिए इन्वर्टर का उपयोग किया जाता है जिसके पश्चात् ही हम घरों में बिजली का उपयोग करते हैं, तो इस तरह से सूरज की किरणों से बिजली का उत्पादन होता है और सौर सेल काम करता है |
सौर सेल के प्रकार (Types Of Solar Cells)
सौर सेल के बहुत सारे प्रकार होते हैं किंतु मुख्य रूप से यह तीन प्रकार के होते हैं मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल, पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल और थिन फिल्म इन सभी के बारे में विस्तारपूर्वक समझते हैं :-
1. मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल (Monocrystalline solar cell) :-
मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल शुद्ध सिलिकॉन से बना होता है और इसमें एक ही क्रिस्टल संरचना का उपयोग किया जाता है और इसका आकार बेलनाकार होता है अतः मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल एक ही क्रिस्टल से बनाने पर इसकी प्रदर्शन क्षमता उच्च होती है, मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल को एकल क्रिस्टलीय सोलर पैनल भी कहते हैं |
2. पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल (Polycrystalline solar cell) :-
पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल एक से अधिक क्रिस्टल सिलिकॉन से बनाया जाता है सिलिकॉन के बहुत सारे टुकड़ों को पिघलाकर पॉलीक्रिस्टलाइन को चौकोर आकार में बनाया जाता है जिससे इसकी दक्षता थोड़ी कम हो जाती है, पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल को मल्टी क्रिस्टलीय सौर सेल भी कहते हैं |
3. थिन-फिल्म सौर सेल (Thin-film solar cells) :-
थिन-फिल्म सौर सेल को कांच, प्लास्टिक एवं धातु की बहुत पतली लेयर को जमा करके बनाया जाता है और यह काफी लचीली होती है और इसकी कीमत भी काफी कम होती है, किन्तु ज्यादातर मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल और पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल का ही उपयोग किया जाता है |
मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल में अंतर (Difference between monocrystalline and polycrystalline solar cells)
मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल में निम्न अंतर है:-
मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल | पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल |
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1. मोनोक्रिस्टललाइन सौर सेल एक क्रिस्टल सिलिकॉन से बनी होती है | | 1. पोलीक्रिस्टललाइन सौर सेल एक से अधिक क्रिस्टल सिलिकॉन से मिलकर बनी होती है | |
2. यह काले रंग की होती है | | 2. यह नीले रंग की होती है | |
3. यह कम रोशनी में भी काम करती है | | 3. इसे उपयोग करने के लिए अधिक रोशनी की आवश्यकता होती है | |
4. इसका जीवन काल अधिक होता है | | 4. इसका जीवन काल मोनोक्रिस्टललाइन सौर सेल के तुलना में कम होता है | |
5. इसका रखरखाव महंगा होता है | | 5. इसका रखरखाव सस्ता होता है | |
6. मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल का आकार बेलनाकार होता है | | 6. पॉलीक्रिस्टलाइन सौर सेल का आकार चौकोर होता है | |
Note :- मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल के बारे में और भी अत्यधिक जानकारी के लिए Economic Times की वेबसाइट पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं |
सौर सेल के फायदे (Advantages Of Solar Cells)
सौर सेल के निम्न फायदे हैं जो इस प्रकार है:-
- सौर सेल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके उपयोग से बिजली बिल के खर्च को कम किया जा सकता है |
- सौर सेल का रखरखाव काफी सस्ता होता है और यह काफी लंबे समय तक चलता है |
- जहां पर बिजली की समस्या अत्यधिक देखने को मिलती है जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में वहां पर सौर सेल का उपयोग करके बिजली की समस्या से निदान पाया जा सकता है |
- सौर सेल के उपयोग से प्रदूषण कम होता है |
- सौर सेल से सभी तरह के इलेक्ट्रॉनिक एप्लायंसेज को चलाया जा सकता है जैसे कूलर, एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, टीवी, कंप्यूटर, लैपटॉप इत्यादि |
सौर सेल के नुकसान (Disadvantages Of Solar Cells)
सौर सेल के फायदों के साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं जो इस प्रकार है:-
- सौर सेल को दिन के समय जब सूर्य की किरणें अधिक तेज होती है तो इसकी ऊर्जा काफी अधिक होती है किन्तु बारिश या बादल के समय इसकी ऊर्जा कम होती है |
- सौर सेल का उपयोग करने के लिए अत्यधिक स्थान की आवश्यकता होती है |
- अधिक बर्फबारी और बड़े-बड़े ओलों के गिरने से सौर सेल के टूटने की आशंका रहती है |
- सौर सेल पर धूल की परत पड़ने से इसकी दक्षता कम हो सकती है |
- सौर सेल कुछ हद तक पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं |
Google और एम्बिएंट फोटोनिक्स के नए उपकरण लॉन्च के बारे में बताएं (Tell Us About The New Device Launch From Google And Ambient Photonics)
Google और एम्बिएंट फोटोनिक्स ने इनडोर सौर सेल द्वारा संचालित एक नया उपकरण लॉन्च करने के लिए हाथ मिलाया है जिसके बारे में हम विस्तारपूर्वक समझेंगे:-
इनडोर सौर सेल तकनीक क्या है :- इनडोर सौर सेल तकनीक ऐसी तकनीक है जो अंदरूनी प्रकाश का उपयोग करके बिजली उत्पादन करती है आने वाले समय में थिन-फिल्म सोलर सेल्स, लाइट हार्वेस्टिंग तकनीक इत्यादि के माध्यम से कम रोशनी में भी विद्युत ऊर्जा उत्पादित की जा सकती है |
9 जनवरी, 2024 को रोजमर्रा के इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए कम रोशनी, इनडोर सौर सेल टेक्नोलॉजी के अग्रणी एम्बिएंट फोटोनिक्स ने घोषणा की कि वह नए सौर सेल उत्पाद के विकास पर Google के साथ साझेदारी कर रहा है जिसमें दुनिया का सबसे शक्तिशाली इनडोर सौर सेल शामिल होगा | जो कम से कम रौशनी में भी बिजली उत्पादित कर सकती है, अधिक टिकाऊ हो सकती है और बैटरी मुक्त हो सकती है |
Note :- इसके बारे में और भी अत्यधिक जानकारी के लिए Ambient Photonics के आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं | |
सौर सेल पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs On Solar Cell)
Q1. सौर सेलों की दक्षता क्या है?
Ans – सौर सेलों की दक्षता प्रौद्योगिकी के आधार पर भिन्न हो सकती है मुख्यतौर पर सौर सेलों की दक्षता 15 से 23% तक होती है |
Q2. सौर सेल कितने समय तक चलते हैं?
Ans – सौर सेल का जीवन काल काफी लंबा होता है यह 25 से 30 वर्षों तक चलती है किंतु धीरे-धीरे इसकी दक्षता कम हो जाती है |
Q3. क्या सौर सेल के उपयोग से पर्यावरण में लाभ है?
Ans – हां, सौर सेल से पर्यावरण में काफी लाभ है इसके उपयोग से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है और सौर सेल भविष्य में स्वच्छ एवं अधिक टिकाऊ ऊर्जा का बहुत बड़ा योगदान साबित हो सकती है |
Q4. क्या सौर सेल बादल में काम करते हैं?
Ans – हां, सौर सेल बादल होने पर भी काम करती है किंतु जब सूर्य की किरणें काफी तेज होती है तब इसकी दक्षता अधिक होती है और बादल होने पर इसकी दक्षता कम हो जाती है |
Q5. एक सौर सेल कितने वोल्ट का होता है?
Ans – एक सौर सेल काफी छोटा डिवाइस होता है जिसकी क्षमता 0.5v तक होती है, अतः जब बहुत सारे सौर सेल्स को जोड़ा जाता है तो सौर पैनल कहा जाता है |
आपने क्या सीखा What Have You Learned
इस आर्टिकल में आपने सीखा कि सोलर सेल क्या है और यह कैसे काम करते हैं तो भविष्य में सोलर सेल के निर्माण कार्य को और भी अत्यधिक बढ़ाया जा सकता है जिससे बिजली की आपूर्ति को पूरा किया जा सके और पर्यावरणीय प्रभाव को भी कम किया जा सके | एम्बिएंट फोटोनिक्स और गूगल की इस नई टेक्नोलॉजी इनडोर सौर सेल तकनीक के निर्माण से भविष्य में कम रोशनी में भी सौर सेल से बिजली विद्युत की जा सकती है जो की यह एक अच्छी पहल है |
मैं आशा करता हूं कि आपको मेरे द्वारा दी गई यह जानकारी आपलोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी और आपको मेरे इस लेख के द्वारा बहुत कुछ सीखने को मिले होंगे | अतः आपको यह पोस्ट पसंद आई हो या इससे सम्बंधित आपके पास कोई भी प्रश्न हो तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं और इस पोस्ट को अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर करें ताकि उन्हें भी सौर सेल के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके धन्यवाद !