कंप्यूटर की जानकारी हिंदी में pdf – Computer information pdf in hindi

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Table of Contents

कंप्यूटर की जानकारी हिंदी में pdf – Computer information pdf in hindi

कंप्यूटर का परिचय (Introduction to Computers in Hindi)

कंप्‍यूटर क्‍या है – What is Computer कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के “Compute” शब्द से बना है, जिसका अर्थ है “गणना”, करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में,
Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है, computer केवल वह काम करता है जो हम उसे करने का कहते हैं यानी केवल वह उन Command को फॉलो करता है जो पहले से computer के अन्‍दर डाले गये होते हैं, उसके अन्‍दर सोचने समझने की क्षमता नहीं होती है, computer को जो व्‍यक्ति चलाता है उसे यूजर कहते हैं, और जो व्‍यक्ति Computer के लिये Program बनाता है उसे Programmer कहा जाता है।

कंप्यूटर का फुल फॉर्म क्या है – What is Full Form Of Computer

कंप्यूटर की फुल फॉर्म इंग्लिश में (Full form of computer in english)

Commonly Operated Machine Particularly Used in Technical and Educational Research






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क्या आप जानते हैं?


  • C – Commonly
  • O – Operated
  • M – Machine
  • P- Particularly
  • U- Used
  • T – Technical
  • E – Educational
  • R – Research
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कंप्यूटर का फुल फॉर्म हिंदी में (Full form of computer in Hindi)

  • सी – आम तौर पर
  • ओ – संचालित
  • एम – मशीन
  • पी- विशेष रूप से
  • यू- प्रयुक्त
  • टी – तकनीकी
  • ई – शैक्षणिक
  • आर – अनुसंधान
कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग आमतौर पर तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए किया जाता है

कंप्यूटर का हिंदी नाम क्या है (What is the Hindi meaning of Computer)

कंप्‍यूटर के हिंदी में कई नाम हैं, कंप्‍यूटर गणना करता है इसलिये इसे संगणक (SANGANAK) कहते हैं, यह कंप्‍यूटर का सबसे कॉमन हिंदी नाम है कंप्‍यूटर को अभिकलित्र इसलिये कहते हैं क्‍योंकि यह एक अभिकलक यंत्र (Programmable Machine) है, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग ( Computer Programming ) एक माध्‍यम है जिससे आप कंप्‍यूटर को निर्देश देने के लिये एक प्रोग्राम तैयार करते हैं और ये प्रोग्राम कंप्‍यूटर को दिये जाने वाले निर्देशों का सेट होता है

कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture in Hindi)

1- इनपुट यूनिट (Input unit)

इनपुट यूनिट (Input unit) कंप्यूटर के वह भाग हार्डवेयर होते हैं जिनके माध्‍यम से कंप्‍यूटर में कोई डाटा एंटर किया जा सकता है इनपुट के लिये अाप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं यह i/o devices कहलाती है

2- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit)

सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit) इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है इसके लिये सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट दोनों मिलकर अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना करते हैैं और डाटा को प्रोसेस करते हैं CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है
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3- मेमोरी (Memory)

मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को संगृहीत करती है, यह प्राथमिक और द्वितीय दो प्रकार की हाेती है उदाहरण के लिये रैम और हार्ड डिस्‍क
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4- आउटपुट यूनिट (Output unit)

आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस या आउटपुट यूनिट द्वारा प्राप्‍त हो जाता है आउट डिवाइस का सबसे बेहतर उदाहरण आपका कंप्‍यूटर मॉनिटर है यह i/o devices कहलाती है

कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)

मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए।

अबेकस – 3000 वर्ष पूर्व

अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

एंटीकाईथेरा तंत्र – 2000 वर्ष पूर्व

Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्‍टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है।
यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था

पास्‍कलाइन (Pascaline) – सन् 1642

अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं

डिफरेंज इंजन (Difference Engine) – सन् 1822

डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया एेसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था, इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

जुसे जेड – 3 – सन् 1941

महान वैज्ञानिक “कोनार्ड जुसे” नें “Zuse-Z3” नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।

अनिएक – सन् 1946

अमेरिका की एक Military Research room ने “ENIAC” मशीन जिसका अर्थ (Electronic Numerical Integrator And Computer) का निर्माण किया। “ENIAC” दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें “ENIAC” सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई

मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) – सन् 1948

(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने

कंप्यूटर की विशेषता (Characteristics of Computer)

  1. गति (Speed) – जहां एक आपको एक छोटी सी Calculation करने में समय लगता है वहीं Computer बडी से बडी Calculation सेेकेण्‍ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोससर से प्रदान होती है कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है
  2. सटीकता (Accuracy) – त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता (Accuracy) के साथ किसी भ्‍ाी काम का पूरा करना कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है, कंप्‍यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है, कंप्‍यूटर हमेशा सही परिणाम देता है, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं
  3. स्वचलित (Automation) – कंप्‍यूटर को एक बाद निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है उदाहरण के लिये जब Computer से Printer को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें तो पूरे 100 पेज प्रिंट करने बाद ही रूकेगा, इन सभ्‍ाी कार्यो को करने के लिये कंप्‍यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्‍हीं के आधार पर उनको पूरा करता है यह निर्देश कंप्‍यूटर को प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर के द्वारा मिलते हैं हर काम काे करने के लिये अगल प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होता है
  4. भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity) : – कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप,सीडी राॅम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है । कम्प्यूटर में कम स्थान घेरती सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
  5. सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval): – कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रेम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।
  6. जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick Decision) :- कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता से करता है।
  7. विविधता (Versatility) : – कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।
  8. पुनरावृति (Repetition) :- कम्प्यूटर आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।
  9. स्फूर्ति (Agility) – कम्प्यूटर को एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।
  10. गोपनीयता (Secrecy) : – पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है।
  11. एकरूपता (Uniformity of work) : – बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट – Computer Memory Units in Hindi

जिस प्रकार समय मापने के लिये सैकेण्‍ड, आवाज को नापने के लिये डेसीबल, दूरी को नापने के लिये मि0मि और वजन को नापने के लिये ग्राम जैसे मात्रक हैं, इसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता का नापने के लिये भी मात्रकों का निर्धारण किया गया है, इसे कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट कहते हैं –
कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) की सबसे छोटी इकाई होती है बिट (bit) एक बिट बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 में से केवल एक युग्म मूल्य (binary value) होता है और जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो उसे निब्‍बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्‍बल = 4 बिट बाइट (Byte) 8‍ बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।
सामान्‍यत एक जब आप एक अंक या अक्षर अपने कम्‍प्‍यूटर में टाइप करते हैं तो उसको एक बाइट से व्‍यक्‍त किया जाता है या सीधे शब्‍दों में कहें तो वह एक बाइट के बराबर जगह घेरता है। यानी 1 बाइट = 8 बिट = 2 निब्‍बल इस प्रकार लगभग 11099511627776 बाटइ के समूह को टैराबाइट कहा जाता है और एक टैराबाईट में लगभग 20 लाख MP3 को स्‍टोर किया जा सकता है।
  • 1 बिट (bit) = 0, 1
  • 4 बिट (bit) =  1 निब्‍बल
  • 8‍ बिट = 1 बाइट्स (Byte)
  • 1000 बाइट्स (Byte) = एक किलोबाइट (KB)
  • 1024 किलोबाइट (KB) = एक मेगाबाइट (MB)
  • 1024 मेगाबाइट (MB) = एक गीगाबाइट (GB)
  • 1024 गीगाबाइट (GB) = एक टेराबाइट (TB)
  • 1024 टेराबाइट (TB) = एक पेंटाइट (PB)
  • 1024 पेडाबाइट (PB) = एक एक्साबाइट (EB)
  • 1024 एक्साबाइट (EB) = एक ज़ेटबाइट (ZB)
  • 1024 ज़ेटाबाइट (ZB) = एक ज़ेटबाइट (YB)

कंप्यूटर की कार्य प्रणाली (Computer functions)

कंप्‍यूटर के कार्यप्रणाली की प्रक्रिया एक चरणबद्ध तरीके से होती है –
इनपुट (Input) —– प्रोसेसिंग (Processing) —– आउटपुट (Output)
  1. इनपुट के लिये आप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं या डाटा एंटर करते हैं।
  2. यह इस प्रक्रिया का दूसरा भाग है इसमें आपके द्वारा दी गयी कंमाड या डाटा को प्रोसेसर द्वारा सॉफ्टवेयर में उपलब्‍ध जानकारी और निर्देशों के अनुसार प्रोसेस कराया जाता है।
  3. तीसरा और अंतिम भाग आउटपुट इसमें आपके द्वारा दी गयी कंमाड के आधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस द्वारा प्राप्‍त हो जाता है। 

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