आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी क्या है What Is Iris Scanning Technology In Hindi

इस बढ़ती इंटरनेट की दौर में टेक्नोलॉजी काफी आगे बढ़ चुकी है और जब बात आती है मोबाइल की सुरक्षा को लेकर तो कंपनियां इसकी सुरक्षा के लिए दिन – प्रतिदिन नयी- नयी टेक्नोलॉजी का निर्माण करती रहती हैं इन दिनों हमें बहुत ही पॉपुलर टेक्नोलॉजी के बारे में सुनने को मिल रहे हैं वह है आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी वैसे तो यह टेक्नोलॉजी काफी पुरानी है किन्तु इसका उपयोग अब हर क्षेत्रों में बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए किया जा रहा है |






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क्या आप जानते हैं?


वैसे तो बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए सबसे प्रसिद्ध स्कैनिंग टेक्नोलॉजी है फिंगरप्रिंट टेक्नोलॉजी, डीएनए और आईरिस टेक्नोलॉजी किन्तु सबसे ज्यादा उपयोग फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैनिंग का उपयोग किया जाता है |

आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे की “आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी क्या है What Is Iris Scanning Technology In Hindi” , यह कैसे काम करती है, इसकी क्या विशेषताएं हैं और यह बाकि बायोमेट्रिक सत्यापन से कैसे अलग है सारी जानकारियां हम इस पोस्ट में जानेंगे तो आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तारपूर्वक जानने के लिए इस लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें |

यह भी पढ़ें – फिंगरप्रिंट सेंसर क्या है और कैसे काम करता है

IRIS Scanning Technology क्या है

Table of Contents

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी क्या है What Is Iris Scanning Technology

आईरिस स्कैनिंग किसी भी व्यक्ति की आँखों को स्कैन करके बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए उपयोग किया जाता है यह अन्य बायोमेट्रिक तकनीक जैसे फिंगरप्रिंट एवं चेहरे की स्कैनिंग की तरह ही है | आईरिस (आँख का रंगीन हिस्सा) स्कैनिंग का उपयोग किसी भी व्यक्ति की पहचान को सत्यापित करने के लिए किया जाता है और यह अन्य बायोमेट्रिक तकनीक की तुलना में अत्यधिक सुरक्षित है और प्रत्येक व्यक्ति के आँख की पुतली भिन्न होती जिससे किसी भी व्यक्ति की पहचान आसानी से की जा सकती है |

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग अब लगभग हर क्षेत्रों में किया जा रहा है और आगे भी इसे सभी क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है क्योंकि यह सबसे सुरक्षित है | आइये अब यह जानते हैं की आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है जिससे आपको इसके बारे में अच्छे से समझ आ जाये |

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है How Iris Scanning Technology Works

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी एक विशेष प्रकार के डिजिटल कैमरे द्वारा छवि को कैप्चर करके और फिर सॉफ्टवेयर का उपयोग करके काम करती है हमारी आँखों के बीच में जो पैटर्न है जिसे हम पुतली या आईरिस कहते हैं जो हरे, काले एवं नीली रंगों की होती है उनमें बारीक – बारीक जो डिटेल्स हैं वह सभी व्यक्ति की अलग – अलग होती है और इसी की पहचान करके बायोमेट्रिक सत्यापन किया जाता है | आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी विभिन्न प्रक्रिया के द्वारा कार्य करती है जो नीचे दिए गए चरणों के अनुसार समझ सकते हैं:-

1. छवि को कैप्चर करना – आईरिस स्कैनिंग इंफ्रारेड लाइट और कैमरे का उपयोग करके आँखों की छवि को कैप्चर करता है आईरिस मेलेनिन इंफ्रारेड रोशनी के तहत पारदर्शी होती है और आँखों के रंगों की परवाह किये बिना आईरिस के विवरण को प्रकट करता है अतः व्यक्ति को डिवाइस के सामने या करीब लाया जाता है और सिर को स्थिर रखा जाता है और आखें खुल रहती है जिससे डिवाइस आँखों की छवि को कैप्चर कर लेता है |

2. आँखों के पैटर्न का विश्लेषण करना – आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी सॉफ्टवेयर का उपयोग करके कैप्चर की गयी छवि का विश्लेषण करता है उसके पश्चात् आईरिस पैटर्न का एक टेम्पलेट बनाता है जिसमें पुतली के केंद्र, पुतली के किनारे, रक्त वाहिकाओं आकार और स्थान शामिल है जो आँखों की पुतली के बीच पैटर्न की बारीकी डिटेल्स का विश्लेषण किया जाता है |

3. संग्रहित पैटर्न से मिलान करना – डिजिटल आईरिस की तुलना डेटाबेस में संग्रहित आँखों के पैटर्न से की जाती है और यह पता लगाया जाता है की दोनों पैटर्न मेल खा रहे हैं या नहीं और जब दोनों पैटर्न एक – दूसरे से मेल कहते हैं तो सिस्टम के द्वारा उस व्यक्ति के पहचान की पुष्टि हो जाती है |

अतः आईरिस स्कैनर सॉफ्टवेयर आईरिस पैटर्न के पहचान की पुष्टि तुरंत ही कर लेता है किसी भी व्यक्ति के आखों की छवि को कैप्चर करने और पहचान करके सत्यापन करने में लगभग कुछ ही सेकंड का समय लगता है | आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी को बहुत ही सटीक माना जाता है और यह उच्च सुरक्षा अनुप्रयोगों एवं रोजमर्रा के उपयोग के लिए अत्यधिक सुविधाजनक है जैसे मोबाइल, कंप्यूटर एवं लैपटॉप | इसके साथ ही आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी पहचान संपर्क लेंस और चश्मे के साथ भी संगत है तो इस प्रकार से आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी काम करती है |

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी की विशेषताएं Features Of Iris Scanning Technology

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी उच्च सुरक्षा एवं सटीकता के रूप में जानी जाती है अतः इसके निम्न विशेषताएं हैं जो इस प्रकार है:-

1. उच्च सटीकता – आईरिस पहचान बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के सत्यापन के लिए सबसे सटीक रूपों में से एक माना जाता है क्योंकि आईरिस स्कैनिंग आँखों के बीच पुतली या आईरिस के पैटर्न को बारीकी के साथ कैप्चर करता है जिससे एकदम सटीक प्रमाण प्राप्त होता है |

2. अधिक सुरक्षित – आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी सबसे ज्यादा अत्यधिक सुरक्षित के लिए जाना जाता है क्योंकि सभी व्यक्ति के आँखों का आईरिस या पुतली में मौजूद बारीकी डिटेल्स अलग – अलग होती हैं और इसे चुराया या इसकी कॉपी नहीं की जा सकती है | यह अन्य बायोमेट्रिक तकनीक से काफी अत्यधिक सुरक्षित है क्योंकि कभी – कभी फिंगरप्रिंट की कॉपी की जा सकती है किन्तु आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी की नहीं |

3. स्कैनिंग करने में तेजी एवं कुशल – आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी सॉफ्टवेयर एवं डिजिटल कैमरा के द्वारा बहुत ही तेजी गति से आँखों की छवि कैप्चर करती है एवं विश्लेषण करती है जिसमें मात्र कुछ सेकंड का ही समय लगता है और व्यक्ति की पहचान के सत्यापन करने का यह एक सुविधाजनक विकल्प है |

4. संपर्क रहित – इसका मतलब है की आईरिस स्कैनिंग को आँख के साथ भौतिक संपर्क की आवश्यकता नहीं होती है वहीं अगर फिंगरप्रिंट स्कैनिंग से तुलना की जाये तो यह इसके विपरीत है क्योंकि फिंगरप्रिंट स्कैनिंग में भौतिक संपर्क की आवश्यकता होती है |

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी के नुकसान Disadvantages Of Iris Scanning Technology

आईरिस स्कैनिंग के विशेषताओं या फायदों के साथ – साथ इसके कुछ नुकसान भी हैं जिसके बारे में जानना अतिआवश्यक है तो इसके निम्न नुकसान हैं जो इस प्रकार है:-

  • आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी अन्य बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी की तुलना में महंगी है मुख्य रूप से फिंगरप्रिंट स्कैनिंग टेक्नोलॉजी की तुलना में |
  • आईरिस स्कैंनिंग टेक्नोलॉजी की उपलब्धता सीमित है इस तकनीक को अभी सभी क्षेत्रों में उपयोग नहीं किया जा रहा है और कुछ संगठनों में इसे लागू करना थोड़ा कठिन है |
  • यदि हैंडहेल्ड स्कैनर का उपयोग किया जाता है तो हाथों में मूवमेंट होने के कारण आँखों की स्कैनिंग करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है |

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी के उपयोग Uses Of Iris Scanning Technology

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग लगभग हर क्षेत्रों में किया जाता है आइये जानते हैं की कहाँ – कहाँ आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है:-

1. बैंकिंग एवं वित्तीय प्रणाली के क्षेत्रों में (In The Areas Of Banking And Financial Systems):

आईरिस स्कैनिंग का उपयोग अब बैंकिंग एवं वित्तीय प्रणाली क्षेत्रों में किया जाने लगा है जिससे ग्राहकों की वित्तीय जानकारी सुरक्षित रहे और धोखाधड़ी से बचा जा सके अतः आईरिस स्कैनिंग के उपयोग से ग्राहकों के बैंक खाते एवं एटीएम पूरी तरह से सुरक्षित रहते हैं |

2. चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में (In The Fields Of Medicine And Healthcare):

आईरिस स्कैनिंग का उपयोग चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी क्षेत्रों में रोगियों की पहचान और सुरक्षा सुविधाओं के लिए किया जाता है जिससे चिकित्स्कों को यह पता चल सके की रोगियों को दवा और उनकी देखभाल समय पर किया जा रहा है या नहीं |

3. मोबाइल एवं अन्य उपकरणों में (Mobile And Other Devices):

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग अब बहुत से स्मार्टफोनों में स्क्रीन अनलॉक करने के लिए किया जा रहा है इसके अतिरिक्त लैपटॉप एवं कंप्यूटर में भी इसका उपयोग किया जा रहा है जिससे उपयोगकर्ता के व्यक्तिगत जानकारी और प्राइवेसी पूरी तरह से बनी रहे |

4. कानून प्रवर्तन के क्षेत्रों में (In The Areas Of Law Enforcement):

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कानून प्रवर्तन के क्षेत्रों में भी किया जा रहा है जिससे अपराधियों की पहचान की जा सके और जाँच के लिए पुलिस कर्मियों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को मदद मिल सके |

कुल मिलाकर आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग सभी उद्योगों में बायोमेट्रिक पहचान के लिए किया जाता है जो एकदम सुरक्षित एवं सटीक प्रमाण प्रदान करता है |

कौन से मोबाइल में आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी उपलब्ध है Which Mobiles Have Iris Scanning Technology

कई हाई रेंज वाले स्मार्टफोन में आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी उपलब्ध है और सबसे पहले इस टेक्नोलॉजी का उपयोग मई 2015 में Fujitsu ने Arrow NX F-04G स्मार्टफोन में जारी किया था इसके पश्चात् बहुत से मोबाइल में यह टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराई गयी जैसे:-

  • Samsung Galaxy S8/S8+, Note 7, Note 8, Note 9, Note 10
  • Microsoft Lumia 950
  • Microsoft Surface Pro 4, Surface Laptop
  • Vivo X5Pro
  • TCL 560
  • Nokia 9 PureView
  • Oppo Find X

अतः मैंने आपको कुछ ही स्मार्टफोन की लिस्ट के बारे में बताया इसके अतिरिक्त बहुत सारे स्मार्टफोन में आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी विकसित की जा रही है और आने वाले समय में हमें फिंगरप्रिंट स्कैनिंग के साथ – साथ आईरिस स्कैनिंग भी मिलेगी जिससे हमारी व्यक्तिगत जानकारी पूर्ण रूप से सुरक्षित हो सके |

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का भविष्य Future Of Iris Scanning Technology

आने वाले समय में आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग लगभग हर क्षेत्रों एवं सभी मोबाइल डिवाइस में किया जा सकता है क्योंकि इस टेक्नोलॉजी को और भी विकसित किया जा रहा है और लगातार इसमें सुधार किया जा रहा है जिससे सभी इसका व्यापक रूप से उपयोग कर सकें | अभी हाल के दिनों में यह काफी चर्चित है की सरकार अब बैंकों में ट्रांजक्शन के लिए चेहरे और आईरिस स्कैनिंग शुरू कर दी है इससे सरकार का यह मानना है की इस सुविधा से टैक्स चोरी में कमी आएगी |

Note – और भी अत्यधिक जानकारी के लिए अमर उजाला इस पर क्लिक करके वहां पर इससे सम्बंधित जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं | 

आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs On Iris Scanning Technology

Q1. क्या आईरिस स्कैनिंग फिंगरप्रिंट स्कैनिंग से बेहतर है?

Ans – संक्षेप में, फिंगरप्रिंट स्कैनिंग की तुलना में आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी से पहचान करने के लिए एकदम सटीक है किन्तु इसके लिए आँखों को स्कैन करने के लिए स्पष्ट रेखा की आवश्यकता होती है, वहीं फिंगरप्रिंट स्कैनिंग की बात करें तो स्पष्ट रेखा की आवश्यकता नहीं होती है | अगर सुरक्षा के मामले में कहा जाये तो आईरिस स्कैनिंग फिंगरप्रिंट की तुलना में अधिक सुरक्षित और तेज है |

इसके अतिरिक्त फिंगरप्रिंट की कॉपी की जा सकती है और समय आने पर व्यक्तियों की उँगलियाँ घिस जाती हैं या चोट लगने की वजह से काम नहीं करती, वहीं आईरिस स्कैनिंग में लोगों की आँखें बचपन से लेकर बड़े तक एक जैसा ही रहता है और सभी व्यक्ति के आईरिस या पुतली अद्वितीय होती है और इसकी कॉपी नहीं की जा सकती है इसलिए यह फिंगरप्रिंट स्कैनर से बेहतर है |

Q2. क्या आईरिस स्कैनर वास्तव में काम करते हैं?

Ans – हां, आइरिस स्कैनर काम करते हैं, NIST (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी) के अनुसार यह बताया गया है की आईरिस की पहचान की सटीकता 90-99% है | अतः इसकी सटीकता विभिन्न कारकों को प्रभावित करती है जैसे प्रकाश की स्थिति, आँखों की स्थिति और उपयोग किये गए आईरिस स्कैनर डिवाइस की गुणवत्ता |

Q3. आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी की शुरुआत कब हुई?

Ans – आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी का पता 19वीं शताब्दी के अंत में लगाया गया था उसके बाद से वैज्ञानिकों ने इस पर अध्ययन करना शुरू कर दिया हालाँकि कहा जाये तो इसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुआ मुख्य रूप से कैंब्रिज विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता जॉन डगमैन के द्वारा आईरिस स्कैनिंग की शुरुआत की गयी और इसके बाद से इस तकनीक को और विकसित एवं सुधार किया जा रहा है |

Q4. क्या आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी चश्मे के साथ भी काम कर सकती है?

Ans – हाँ, आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी चश्मे के साथ भी काम कर सकती है किन्तु यह चश्मे के प्रकार और उपयोग की जा रही आईरिस पहचान प्रणाली की गुणवत्ता पर निर्भर करता है इसके साथ ही चश्मे की मोटाई और उसके रंग भी स्कैन की सटीकता को प्रभावित कर सकते हैं |

आपने क्या सीखा What Have You Learned

इस आर्टिकल में आपने सीखा की आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी क्या है, यह कैसे काम करती है, इसके की फायदे एवं नुकसान हैं इत्यादि तो कुल मिलाकर इस टेक्नोलॉजी को अभी भी विकसित किया जा रहा है और आने वाले समय में इसका व्यापक रुप से उपयोग किया जा सकता है जिससे लोगों को अधिक सुरक्षा प्रदान हो सके |

मैं आशा करता हूँ की मेरे द्वारा दी गयी यह जानकारी आपलोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगी और आपको बहुत कुछ सिखने को मिले होंगे इससे जुड़े आपके पास कोई भी प्रश्न हो तो हमें कमेंट करके अवश्य बताएं |

अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें ताकि उन सभी को आईरिस स्कैनिंग टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके धन्यवाद |

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