एटीएम (ATM) यानि आटोमेटिड टैलर मशीन (Automated Teller Machine) वैसे तो आप एटीएम (ATM) से पूरी तरह सेे परिचित हैं क्यों इससे पैसे जो निकलते हैं, भारत में नोटबंदी के दौरान एटीएम (ATM) पर लगी लम्बी कतारें कोई नहीं भूल सकता है एटीएम (ATM) ने से ही लोगाें को राहत मिली थी, लेकिन एटीएम (ATM) के बारे में अभी भी ऐसी कई जानकारी है जो आपके लिये जानना जरूरी है – आईये जानते हैं क्या है एटीएम – What is ATM
एटीएम क्या है – What is ATM
ATM का पूरा अर्थ है ऑटोमेटेड टैलर मशीन (Automated Teller Machine) इसका हिंदी नाम स्वचालित गणक मशीन है, इसे आटोमेटिक बैंकिंग मशीन(Automatic banking machine), कैश पाइंट (Cash Point) , बैंनकोमैट (Bankomat) भी कहते हैं, आधुनिक एटीएम की सबसे पहली पीढ़ी का प्रयोग 27 जून, 1967 में लंदन के बार्केले बैंक ने किया था। इससे पहले 1960 के दशक में एटीएम (ATM) को बैंकोग्राफ नाम से जाना जाता था, माना जाता है कि लंदन में इसका सबसे पहले इस्तेमाल हुआ और इसके आविष्कार का श्रेय जॉन शेफर्ड बैरन (John Shepherd-Barron) को दिया जाता है. उनका जन्म ब्रिटिशकालीन भारत में 23 जून 1925 को मेघालयके शिलॉन्ग में हुआ था
बैरन एटीएम का पिन 6 डिजिट का करने के पक्ष में थे, लेकिन उनकी पत्नी ने उनसे कहा कि 6 डिजिट ज्यादा है और लोग इसे याद नहीं रख पाएंगे। इस कारण बाद में उन्होंने चार डिजिट का एटीएम पिन बनाया। आज भी चार डिजिट का ही पिन चलन में है।
भारत में पहली बार 1987 में एटीएम की सुविधा शुरू हुई थी। भारत में पहला एटीएम हॉगकॉग एंड शंघाई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एचएसबीसी) ने मुंबई में लगाया था। वर्तमान में एटीएम का प्रयोग दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है।
कैसे काम करता है एटीएम (ATM)
एटीएम एक तरह का डाटा टर्मिनल (Data Terminal) होता है, जिसमें मोनीटर, की-बोर्ड माउस जैसे इनपुट और आउटपुट डिवाइस होते हैं। यह होस्ट प्रोसेसर (Host Processor) से जुड़ा होता है, जो बैंक और एटीएम के बीच कड़ी का काम करते हैं। इसके लिये इंटरनेट की मदद ली जाती है। इससे यूजर के एटीएम में एटीएम कार्ड डालते ही बैंक के होस्ट प्रोसेसर से जुड़ जाता है। ऐसे में वह बिना बैंक जाए ही अपने खाते से पैसा निकाल सकता है।
- हर ग्राहक के डेबिट या क्रेडिट कार्ड के पिछले हिस्से में एक खास Magnetic strip होती है, जिसमें उसकी पहचान संख्या व अन्य जरूरी जानकारियां कोड के रूप में होती हैं।
- जब ग्राहक कार्ड को एटीएम के कार्ड-रीडर में डालता है, तो एटीएम मैग्नेटिक स्ट्रिप में छिपी इन जानकारियों को पढ़ लेता है।
- यह जानकारी जब होस्ट प्रोसेसर के पास पहुंचती है, तो वह ग्राहक के बैंक से ट्रांजेक्शन का रास्ता साफ करता है।
- जब ग्राहक कैश निकालने का विकल्प चुनता है तो होस्ट प्रोसेसर और उसके बैंक अकाउंट के बीच एक Electronic Fund Transfer प्रक्रिया होती है।
- इस प्रक्रिया के पूरा होते ही होस्ट प्रोसेसर एटीएम को एक अप्रूवल कोड भेजता है। यह कोड एक तरह से मशीन को पैसा देने के आदेश के समान होता है।
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